भारत में रहना और जीना बांग्लादेश से आसान : तसलीमा नसरीन

Hindi Gaurav :: 13 Jan 2019 Last Updated : Printemail

तसलीमा नसरीन (फाइल फोटो)मुझे बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में आवाज उठाने पर मेरे देश बांग्लादेश से ही बाहर निकाल दिया गया। मानवता विरोधी नीतियों के खिलाफ लिखने के कारण मैं आज भी अपने देश नहीं जा सकती। मुझे यूरोप और अमेरिका की नागरिकता भी प्राप्त है, भारत से मेरी भावनाएं जुड़ी हैं। इसलिए भारत में रहना और जीना बांग्लादेश से आसान है। पुस्तक मेले में अपनी पुस्तक ‘बेशरम’ के लोकार्पण के मौके पर बांग्लादेशी-स्वीडिश लेखिका तसलीमा नसरीन ने ये शब्द कहे। पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन पर तसलीमा नसरीन की पुस्तक ‘बेशरम’ का विमोचन हुआ। इस मौके पर नसरीन खुद पहुंचीं और पाठकों से रूबरू हुईं। उन्होंने पाठकों से बात करते हुए कहा कि बेशरम मेरे उपन्यास लज्जा की दूसरी कड़ी है। इसमें भी बांग्लादेशी हिंदुओं के दुख, प्रेम और परेशानी को दर्शाया गया है। इस पुस्तक को उन्होंने बांग्ला भाषा में लिखा था, जिसका अनुवाद उत्पल बैनर्जी द्वारा किया गया है।       

उन्होंने कहा कि जो लोग बांग्लादेश छोड़कर भारत में वापस आए, अगर वे चाहें तो वापस बांग्लादेश जा सकते हैं क्योंकि उन लोगों की यादें वहां से जुड़ी हुई हैं, लेकिन मैं बांग्लादेश कभी वापस नहीं जा सकती क्योंकि मैने लज्जा जैसे उपन्यास लिखे हैं। मुझे देश छोड़ने को मजबूर किया गया था। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो भी घटित होता है उसके विरोध में मैं हमेशा लिखती हूं। इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी भी मौजूद थे। 

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